Thursday, 25 March 2021

सब ठीक हो जाएगा.

 'सब ठीक हो जाएगा' इतना कह देने से सब कहाँ ठीक हो पाता है। क्या सब ठीक करने के लिए लगती होंगी हज़ारों मिन्नतें, कई वायदे और आइंदा न होने का भ्रम । कितने हिस्से और कितने टुकड़ों में बिखर के बोलना होता होगा कि सब ठीक हो जाएगा मगर सब ठीक होना होता तो ये कहना क्यों होता और अगर कहना है तो होने पर संशय है। सब ठीक कर देने की बात को तो बस कह भर देना होता है लेकिन सोचता कौन है कि कितना बिगड़ा है और गर बिगड़ा है तो तुम्हारा हाथ कितना था । बस हम ठीक कर देने की बात कर आते हैं और सामने वाले को एक झूठी मृगतृष्णा दिखा आते हैं जबकि हमें खुद नही पता होता कि सब ठीक होगा या नही । बस सब ठीक हो जाये पर क्या पता जब ठीक हो तब कोई इस ठीक होने की चाहत को भुला चुका हो।

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