Sunday, 9 February 2020

सुधीर चौधरी- पत्रकारिता का औरंज़ेब ?

मैं सोच रहा था कि पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले छात्रों को पत्रकारिता के साथ साथ कोई और भी डिग्री ले लेनी चाहिए क्योंकि हमारे चाटुकार पत्रकार तो पत्रकारिता का स्तर इतना नीचे गिरा चुके होंगे कि आने वाले कुछ सालों में न कोई अखबार पढ़ेगा न कोई न्यूज़ देखेगा । मुझे सुधीर चौधरी से ये जानना है कि जब 15-20 साल बाद वो अपने बच्चों को क्या किस्से सुनाएंगे पत्रकारिता के किस्से या चाटूकारिता के । मुझे लगता है कि सारे पत्रकारिता के छात्रों को सुधीर चौधरी तक अपनी बात पहुचानी चाहिए और पूछना चाहिए कि आपने हमारे लिए क्या विरासत संवार कर रखा है । शाहीन बाग़ में संविधान की दुहाई देने वाले सुधीर चौधरी शायद कल रात के DNA में भूल गए कि जनता जिसको चुनती है वही संविधान होता है ।
मुझे भारतीय जनता पार्टी से काफी साहनुभूति है क्योंकि वो अपने कल को आज ही मिटा रहे है .....इन्होंने टीवी पर कब्ज़ा कर लिया है ...लोगो को अपनी मर्ज़ी की खबरें दिखाते है लेकिन तब क्या होगा जब आपकी सरकार नही होगी ,तब क्या होगा जब आपको विपक्ष में बैठना पड़ेगा क्योंकि टीवी का सहारा तो आप तब ले नहीं पाएंगे क्योंकि लोग आपको देखना और सुनना बन्द कर चुके होंगे ।

सुधीर चौधरी अपने प्रोफेशनल उत्तराधिकारियों के साथ आप ऐसा न करो ...अगर इनकी चिंता न हो तो बीजेपी के खातिर ही संभल जाओ ।

1 comment:

  1. पत्रकारिता के छात्र होते हुए। तुमने जो सोचा और समझा वह काफी सटीक जान पड़ता है। भविष्य की कल्पना भी काफी वास्तविक समझ में आती है। कुल मिलाकर समग्रता में चीजों को रखने की कोशिश काफी अच्छी है। इसी तरह से तुमसे और भी बेबाक और वस्तुनिष्ठ लेखन की अपेक्षा है।

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