बीते समय में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने राजनीति करने के तरीके में बदलाव किया है। अगर आप निष्पक्ष तौर पर दोनों को देखेंगे तो समझ आएगा कि दोनों बड़ी-बड़ी रैलियों में संबोधन करने से ज्यादा छोटे-छोटे जगह पर जाकर लोगों से मिलते हैं और उनसे बात करते हैं। कई लोगों को लगता है कि राहुल गांधी को लखीमपुर नही जाना चाहिए या उनके जाने से क्या होगा। आपको बता दूं कि जब किसी के घर को अनहोनी होती और कोई जनप्रतिनिधि उससे मिलता है तो उस इंसान को क्षणिक भर के लिए ही सही,लेकिन ऐसा लगता है कि कोई उसके साथ खड़ा है। जब देश की कथित सबसे बड़े पार्टी के मुखिया पीड़ितों से मिलने न आ सके तो विपक्ष के नेता के आने पर सवाल कैसा? और भाई राजनेता है तो राजनीति तो करेगा ही ..इसमें गलत क्या है ? राहुल गांधी सबसे बेहतर तो नही लेकिन बेहतर बनकर उभरते हुए नए नेता हैं। जनता के साथ ये लगाव उन्हें राजनीति में अच्छी बढ़त देगा।